Story of Daku Nirbhay Singh Gujjar निर्भय सिंग गुज्जर : चंबल का आखरी और सबसे खूंकार डाकू की कहानी ।

Story of Daku Nirbhay Singh Gujjar निर्भय सिंग गुज्जर : इंटरव्यू और अखबारो के चक्कर मे मारा जाने वाला डाकू ।

तो नमस्कर दोस्तो अपने बहुत सारे चंबल के डाकुओकी कहानी सुनी होगी पर आज आप एसे डाकू की कहानी पढ़ोगे जो किसी को भी मारता तो पहले उसके शरीर के अंग काट देता । जिस भी गांव में लूट के लिए जाता वहां की लड़कियों के साथ रेप करता किडनैपिंग में इतनी पकड़ कि चंबल में बैठ दिल्ली कर्नाटक से लोगों को उठवा लेता था । चंबल के डाकुओं का आखिरी बड़ा सरगना निर्भय सिंग गुज्जर सालों तक लोगों की नाक में दम करने के बाद 2005 में निर्भय सिंग गुज्जर मारा गया लेकिन उसे मौत के घाट उतारने में उतने ही उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ा ।

क्या है ये चंबल ।

आज की कहानी डाकुओं के कुल के सबसे खुका डाकू निर्भय सिंग गुज्जर की कहानी भिंड मुरेना, शिवपुरी, चित्रकूट, रीवा, इटावा, एमपी, राजस्थान और यूपी के बहुत बड़े क्षेत्रफल में फैला हुआ इलाका चंबल । चंबल नदी के पास बसा ऐसा इलाका जिसकी हर पगडंडी एक सी लगती है ।

चंबल

मुगलों के वक्त से बागियों की पनाहगाह के नाम से चंबल पहचाना जाता रहा है । धीरे-धीरे बागियों की पनाहगाह डाकुओं का गढ़ बन गई उबड़ खाबड़ जगहों से भरा हुआ कहीं ऊंची तो कहीं नीची जमीन, टीले ऐसी जमीन जिसको डाकू अपना ठिकाना बनाना पसंद करते हैं । इसी चंबल के बीहड़ों में सैकड़ों डाको ने राज किया चाहे डाकू मान सिंग हो या, पान सिंग ,डाकू माधव सिंग हो या मोहर सिंग सबकी साख चंबल में जमी है । यहां तक कि महिला डाकू ने भी चंबल पर राज किया है

इनमें फूलन देवी और पुतली बाई का नाम सबके जहन में रहता है । इसी इलाके में जन्म लिया दहशत के पर्याय निर्भय सिंग गुज्जर ने चंबल के डाकुओ की कहानी का लगता है एक सांचा है जिसमें घटनाओं को पिघलाकर डाल दे तो एक डाकू तैयार हो जाता है । निर्भय की जिंदगी में यह सांचा गांव गंगादास पुर से ढलना शुरू हुआ ।

निर्भय सिंग गुज्जर के बारे मे ।

Story of Daku Nirbhay Singh Gujjar निर्भय सिंग गुज्जर : चंबल का आखरी और सबसे खूंकार डाकू की कहानी ।

निर्भय सिंग गुज्जर

उसके पिता पहले पच दौरा में रहते थे । शादी के बाद उन्होंने अपने साले साहब से कुछ जमीन खरीदी और गंगादास पुर में बस गए परिवार में निर्भय के अलावा पांच बहने और एक भाई था । गरीबी चारों तरफ थी ऊपर से गांव वाले निर्भय के परिवार को परेशान करते थे कई बार मारपीट तक हो जाती थी इसी के चलते निर्भय ने हथियार उठाने का

फैसला कर लिया । गरीबी के चलते चोरी भी शुरू कर दी 1986 में एक दिन उसने जालौन के चुर्खी क्षेत्र के एक अमीर आदमी के घर चोरी करने की कोशिश की इसी चक्कर में पकड़ा गया

बाद में निर्भय छूट तो गया लेकिन चार बातें उसके दिमाग में घर कर गई थी पहली पुलिस से इसका बदला लेना है, दूसरी गरीबी यूं ही नहीं मिटने वाली कुछ बड़ा करना होगा, तीसरी बड़ा करने के लिए ट्रेनिंग की सख्त जरूरत है और चौथी गांव वालों को सबक सिखाना है ट्रेनिंग के लिए उसने रुख किया

निर्भय गुज्जर का डाकू बननेका सफर ।

चंबल का बीहड़ में उन दिनों लालाराम की गैंग बड़ी मजबूत थी । निर्भय सीधे लालाराम के पास पहुंचा लालाराम ने निर्भय गुर्जर को अपने साथ शामिल कर लिया गैंग में आते ही उसने ऐसे बड़े-बड़े कांड किए कि चंद दिनों में ही लालाराम का खास बन गया । लालाराम की गैंग के के बाद वो और दूसरी गैंग में भी गया जैसे डाकू जयसिंग गुज्जर की गैंग और फिर डाकू फक्कड़ की गैंग इसी बीच उसने कई अपहरण और हत्याएं की दरअसल लालाराम ने सीमा परिहान नाम की एक लड़की को किडनैप कर अपनी गैंग में शामिल कर लिया ।

सीमा परिहान

इस लड़की से निर्भय सिंग गुज्जर को प्यार हुआ और बाद में दोनों ने शादी भी की सीमा किडनैप होने के बाद डरी सहमी सी रहती थी । सीमा आगे चलकर खुद भी एक बड़ी डकैत बनी बाकायदा निर्भय को गैंग से निकालने वाली खुद सीमा ही थी । निर्भय असपड़ोस के गाव मे जाता और वह के महिलाओ के साथ छेड़-छानी करता ये उसकी शिकायते बढ़ाने लगी तो उसको गैंग से निकाल दिया । सीमा ने निर्भय को गैंग से निकालने के बाद लालाराम से शादी कर ली थी निर्भय सिंग गुज्जर इस बात से बहुत नाराज था कई बार उसने इसका बदला लेने की भी कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ

निर्भय सिंग गुज्जर ने अपनी गैंग बनाई ।

साल 1990 में उसने खुद की गैंग बनाई

कहते हैं कि निर्भय की गैंग में शुरुआत से ही 70 से ज्यादा लोग थे इसके बाद तो निर्भय का आतंक चंबल के बीहड़ों से शहर के गलियारों तक गूंजने लगा । डकैती में अपना नाम बनाते निर्भय अपने मामा के गांव से बदला लेना शुरू कर चुका था । कितने ही लोगों का मर्डर उसने किया कितने ही लोगों को अपाहिज करदिया कितने ही लोगों की दौलत उसने हड़प ली और सैकड़ों लोगों को किडनैप किया । आप सोच रहे होगे की डाकू तो लूट मार कराते है तो ये किडनैपिंग कैसे ? असल में बात यह है कि बैंक और लॉकर के आ जाने से लोगों ने ज्यादा रकम लेकर घूमना बंद कर दिया घरों में भी कम सामान रखने लगे ऐसे में डाकुओ की कमाई कम हो गई तो उन्होंने किडनैपिंग का तरीका अपनाया । इसमें उन्हें ये लगा कि दौलतमंद इंसान को या उसके घरवाले को किडनैप कर लिया जाता अब उसकी दौलत कहीं भी रखी हो फिरौती की शक्ल में वो खुद चलकर डाकु के

पास आ जाती । डाकुओ की भाषा में इसे पकड़ कहते हैं । निर्भय का पकड़ को लेकर भी एक कानून था जिसे भी किडनैप करता उसे 25 दिन की मोहलत मिलती या तो 25 दिन के भीतर मु मांगी रकम देकर छुड़ा ले जाओ या फिर निर्भय निर्दय तरीके से हत्या कर देता । इससे उसकी गैंग बहुत अमीर होती जा रही थी दबदबा देख आसपास की दूसरी गैंग्स ने भी डाकू निर्भय के लिए काम करना शुरू कर दिया । सब अपने-अपने स्तर से पकड़ लेकर आते और फिरौती वसूल ता निर्भय जिसके बाद निर्भय

उन छोटी गैंग्स को उनकी कमीशन देता था । ये कमीशन 50% पर तक भी होती थी । यह करते-करते किडनैपिंग का जाल कानपुर आगरा के अलावा दिल्ली जैसे बड़े शहरों से लेकर दक्षिण के छोटे शहरों तक भी फैल चुका था । इस जाल का हिस्सा लड़कियां भी थी लड़कियां भी निर्भय के इस काम में मदद कर रही थी निर्भय का शौक भी था अपनी गैंग में खूबसूरत और जवान लड़कियों को रखने का

Story of Daku Nirbhay Singh Gujjar निर्भय सिंग गुज्जर : चंबल का आखरी और सबसे खूंकार डाकू की कहानी ।

लेकिन वो जिंदगी भर इसी शौक का खामियाजा भुगता रहा उसकी गैंग से कुछ कुख्यात महिला डाकू भी निकली जैसे मुन्नी पांडे, पार्वती उर्फ चमको, सीमा

परिहार, सरला जाटव और नीलम गुप्ता निर्भय की चार बीवियां थी जिनमें से पहली बीबी सीमा परिहार इसके अलावा नीलम गुप्ता और सरला जाटव से भी निर्भय गुज्जर ने शादी की थी इनकी कहानी भी सुनने लायक हैनीलम गुप्ता जब महज 13 वर्ष की थी तब निर्भय उसको किडनैप कर अपनी गैंग में लाया था

नीलम गुप्ता

पहले उसके साथ खूब दुर्व्यवहार उसने किया मगर बाद में उसके प्यार में पड़ गया जब नीलम गुप्ता बड़ी हुई तो निर्बन उसे शादी कर ली । कहानी में अगला किरदार है श्याम जाटव निर्भय का मुंह बोला बेटा निर्भय ने जब अपनी अलग गैंग शुरू की थी तब इसे अडॉप्ट किया था कहते हैं कि निर्भय के बाद यही उसका उत्तराधिकारी होने वाला था ।

मुंह बोला बेटा श्याम

निर्भय श्याम से सगे पिता की तरह प्यार करता था उसने सरला नाम की लड़की को किडनैप किया था जिससे उसने श्याम की शादी करवा दी लेकिन इसी बीच निर्भय की बीवी नीलम को श्याम पसंद आ गया दोनों में प्यार इतना बढ़ गया कि जिस निर्भय से पूरा इलाका खौफ खाता था उसकी नाक के नीचे दोनों एक दूसरे के साथ भाग गए । भागने के बाद नीलम और श्याम ने शादी कर ली साथ में वो लोग निर्भय की लगभग सारी दौलत लेकर भागे थे इससे गुस्सा आए निर्भय ने दो बड़े फैसले किए पहला जो भी

नीलम और श्याम को जिंदा या मुर्दा लेकर आएगा उसे निर्भय 21 लाख का इनाम देगा और दूसरा निर्भय अब श्याम जाटव की पत्नी सरला जाटव से शादी करेगा । इसके बाद सरला और निर्भय की शादी तो हो गई लेकिन वो नीलम और श्याम को नहीं पकड़ पाए क्योंकि उन दोनों ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था डकैती फिरौती के खेल से निर्भय ने दौलत इकट्ठा कर ली थी लेकिन साथ ही उसे शोहरत की ललक भी थी ।

इंटरव्यू देने की सनक ।

अपना नाम फैलाने के लिए निर्भय ने पहले अखबारों को

इंटरव्यू देना शुरू किया इसके बाद उसका संपर्क टीवी चैनल्स से भी बना अलग-अलग टीवी चैनल्स के रिपोर्टर्स निर्भय के अड्डे पर उसका इंटरव्यू करने जाते थे । ऐसे कुछ इंटरव्यूज में निर्भय के अलावा नीलम गुप्ता सरला जाटव श्याम जाटव और उसके कुछ साथियों के बयान आए थे इस कवायत से निर्भय का नाम बना लेकिन ये उसके अंत की वजह भी बनी । निर्भय की दबंगई पूरे उफान पर थी और गैंग के खजाने भरे हुए थे तब उसने इंटरव्यूज पर राजनीतिक बयान भी देने शुरू कर दिए कुछ समय बाद निर्भय का टीवी इंटरव्यू देने का चस्का चरम पर पहुंच चुका था । एक तरफ वह अपना बखान कर रहा था कहीं-कहीं सफाई भी दे रहा था वो सरकार और चुनावों पर भी खुलेआम बात करता था इसकी

वजह से सरकार पर दबाव बनने लगा समाजवादी पार्टी की सरकार थी मुलायम सिंग यादव मुख्यमंत्री थे

मुलायम सिंग यादव

मुलायम सिंग यादव के भाई शिवपाल यादव मुख्यमंत्री के राइट हैंड माने जाते थे ।

शिवपाल यादव

कई जगहों पर निर्भय सिंग गुज्जर ने कहा था कि मुलायम सिंग यादव हमारे सब कुछ हैं वहीं शिवपाल यादव के लिए उसने यहां तक कह डाला था कि ये मेरे बड़े भैया हैं । विपक्ष ने इस बात पर सरकार को घेर लिया आरोप लगाए कि एक डाकू कह रहा है कि मंत्री मेरे बड़े भाई हैं निर्भय गुर्जर ने यह भी कहा कि अगर मुलायम सिंग यादव चाहे तो मैं समाजवादी पार्टी की साइकिल को चंबल में भी दौड़ा दूंगा । सारी चीजों से समाजवादी पार्टी की सरकार की बहुत नेगेटिव इमेज यहां पर बनने लगी कुछ वीडियोस में उसने अपने पूरे हथियार का जखीरा दिखाया इनमें AK47 और AK56 जैसी बड़ी बंदूकें शामिल थी । यहां तक कि एक वीडियो में निर्भय गुर्जर ने राइफल अलग-अलग अंदाज में लहराकर नीचे रखते हुए कहा होंगे तो मुलायम सिंग सरकार में सरेंडर होंगे उन्हीं के चरणों

में अपनी राइफल जमाएगे । निर्भय के इन्हीं बयानों के चलते सरकार पर एक्शन लेने का दबाव बढ़ता जा रहा था अंत में

निर्भय सिंग गुज्जर का खत्म कैसे हुआ ?

सरकार ने निर्भय सिंग गुज्जर के खात्मे के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया एसटीएफ की टीम ने जाकर चंबल में डेरा डाला इसके बाद सबसे पहले उसके 40 से 50 खास आदमियों का खात्मा किया गया

इन लोगों के ठिकाना लगने के बाद निर्भय गुज्जर कमजोर होता जा रहा था निर्भय को एक के बाद एक जिस तरह महिलाएं छोड़ कर जा रही थी उसका भी मानसिक प्रभाव उस पर पड़ रहा था खासकर नीलम और श्याम वाले मामले का उसके दिमाग पर गहरा असर हुआ था । फिर पुलिस की मुखबिरी भी मजबूत होती जा

रही थी इन मुखबिर में अपने सरेंडर के बाद नीलम गुप्ता और श्याम जाटव भी शामिल हो गए थे । बड़ा झटका निर्भय को उस वक्त लगा जब उसका सबसे खास आदमी मारा गया निर्भय का प्रमुख सिपहसलार बुद्ध सिंग उर्फ लाठी वाला को यमुना किनारे एनकाउंटर में मार दिया गया लाठी वाला के साथ हथियारों का भी जखीरा चला गया । कमजोर हो चुके निर्भय ने छतरपुर के एक बिजनेसमैन से मिलने के लिए संपर्क किया कहा जाता है कि निर्भय गुज्जर अपने पैसे उस बिजनेसमैन के पास रखवा आता था जब निर्भय गुज्जर को लगा कि उसका बुरा दौर शुरू हो रहा है । तो वो उस बिजनेसमैन से सारे पैसे लेकर भाग जाने की प्लानिंग कर रहा था शायद हुलिया भी बदल लेता लेकिन छतरपुर से मिलने की खबर एसटीएफ को लग गई एसटीएफ ने जाल बिछाया । यह भी माना जाता है कि उस बिजनेसमैन ने भी एसटीएफ से मुखबिरी कर दी खबर पक्की थी गुर्जर वहां पहुंचता है और इसके बाद एसटीएफ उस पर दमकती है मुठभेड़ होने लगती है करीब डेढ़ घंटे चले इस एनकाउंटर में निर्भय सिंग गुर्जर इटावा के जंगलों में मारा गया

निर्भय गुर्जर को मारा एसटीएफ के एसएसपी अखिल कुमार ने । मरते वक्त निर्भय गुर्जर 47 साल का था उसके सर पर मर्डर लूटमार डकैती किडनैपिंग जैसे 200 से ज्यादा क्रिमिनल केसेस थे यूपी में ही उसके ऊपर 175 से ज्यादा क्रिमिनल केसेस थे । माना जाता है अगर उसको मीडिया की चमक धमक का लालच नहीं होता अगर वो टीवी इंटरव्यूज में सरकार और राजनीति की बात नहीं करता तो शायद मारा नहीं जाता । यह भी हो सकता था कि वो सरेंडर करके जिंदा बच जाता और बाद में उसे चुनाव का टिकट भी मिल जाता लेकिन ज्यादा शौहरत के लालच की वजह से ऐसा कुछ मुमकिन नहीं हो पाया उसके बाद भी चंबल में और डाकू आए पर छोटे-मोटे निर्भय सिंग गुज्जर जितना बड़ा डकैत फिर वहां नहीं हुआ । इसके पीछे एक बड़ी वजह यह भी है कि उस इलाके में पुलिस का नेटवर्क अच्छा हो गया कोई बागी बन जाता है तो पुलिस उस पर पहनी

नजर रखती है इसके साथ ही पुलिस तकनीकी रूप से भी सक्रिय और मजबूत हो गई है कुछ क्राइम तो अभी भी होते हैं पर उस लेवल के नहीं ।

तो ये थी डाकू निर्भय सिंग गुज्जर की कहानी ।

Marianne Bachmeier shot Klaus Grabowski in front of a packed courtroom : एक माँ ने किया अपने हातोसे किया इंसाफ ।

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