Priyadarshini (प्रियदर्शिनी) Mattoo Rape and Murder Case : एक IPS का बेटा , पुलिस की जाच और एक मासूम लड़किका कत्ल ।
तो नमसकर दोस्तो आये दिन देश में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों की बात आम होती जा रही है । देश मे ऐसे अनगिनत अपराध केसेस हुये है और कई लोगोने आवाज भी उठाई है , पर उसका फायदा कुछ नहीं होता, कुछ दिन बाद सब भूल जाते है । वैसे ही आज सत्य घटना जिनमें बड़े पद पे बैठे हुवे बाप के बेटे ने संघिन अपराध किया जिसमे पीड़िता ने अपनी जान गंवाई साथीमे पीड़िताका परिवार कोर्ट से न्याय मिलनेकी आस मे बैठे रहा । पर वो आखिर कार निराश हो गए तो क्या था ये Priyadarshini Mattoo Rape and Murder Case आइये जानते है ।
आज की कहानी Priyadarshini Mattoo (प्रियदर्शिनी मट्टू) की
Priyadarshini Mattoo (प्रियदर्शिनी मट्टू)
जम्मू के श्रीनगर मे schooling और B.com करनेके बाद दिल्ली मे LLB की डिग्री लेने के लिए पोहची । यही पे Santosh Kumar Singh (संतोष कुमार सिंघ ) की नजर Priyadarshini Mattoo (प्रियदर्शिनी मट्टू) पे उसकी नजर पड़ती है ।संतोष प्रियदर्शिनी के प्यार मे पड़ता है , पर ये एक तर्फा प्यार था इसके बाद संतोष Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) को प्रपोज़ करता है । पर प्रियदर्शिनी उस प्रपोज़ल को ठुकरा देती है । प्रियदर्शिनी की ना संतोष को नागवार गुजरी और उसने प्रदर्शनी को परेशान करना शुरू कर दिया । संतोष कॉलेज में Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) का सीनियर था , संतोष का कॉलेज खतम होने के बाद भी वो Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) को मिलनेके लिये कॉलेज मे जाता था और उसे परेशान करता था । इस बातो से परेशान होकर प्रियदर्शिनी ने संतोष के खिलाफ पुलिस कंप्लेन की
Santosh Kumar Singh (संतोष कुमार सिंघ )।
और पुलिस ने Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) की सुरक्षा के लिए उसके साथ एक कॉस्टेबल की ड्यूटी लगादि ये कॉस्टेबल थे राजेंद्र सिंह । जो अब प्रियदर्शिनी की सुरक्षा में लगे थे संतोष को कई बार वार्निंग दी गई लेकिन उसने अपनी हरकतें नहीं छोड़ी । उल्टा प्रियदर्शिनी को फंसाने के लिए संतोष ने उसके खिलाफ झूठी कंप्लेन की , की Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) एक साथ दो डिग्रीया पढ़ रही है । इस शिकायत के साथ प्रियदर्शिनी को सबूत देने पड़े की उसने Mcom की पढ़ाई काफी पहले ही कर चुकी है और अब LLB कर रही है ।
23 जनवरी 1996 को कॉस्टेबल प्रियदर्शिनी के घर पहुंचने में थोड़ा लेट हो गए तो प्रियदर्शिनी अपने मां-बाप के साथ कॉलेज निकाल गई पर कॉस्टेबल राजेंद्र सीधा कॉलेज पहुंचे कॉस्टेबल ने कॉलेज मे संतोष को देखा । इस दौरान Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) अपने क्लास अटेंड कर रही थी क्लास खत्म होने के बाद प्रियदर्शिनी वापस घर आई और कॉस्टेबल को 5.30 बजे तक वापस आने को कहा । वहीं प्रियदर्शिनी के घर में खाना बनाने वाला कूक अपने दोस्त से मिलने घर से बाहर गया था ।5 बजे वो कूक वापस आया और घर के पालतू कुत्ते को घुमाने के लिए बाहर चला गया, इसी बीच संतोष वहां पहुंचा संतोष को वहां आते हुवे पड़ोसी ने देखा था और संतोष के हाथ में एक हेल्मेट भी था । 5:30 जब हेड कॉस्टेबल राजेंद्र प्रियदर्शिनी के घर पहुंचे तो उनके साथ कॉस्टेबल देव कुमार भी थे दोनों ने दरवाजे की घंटी बजाई लेकिन
दरवाजा नहीं खुला काफी देर तक दरवाजा नहीं खुलने पर जब पीछे के दरवाजे से देखा तो गेट थोड़ा सा खुला हुआ था । अंदर जाकर जब देखा तो प्रियदर्शिनी की बॉडी उसके कमरे के बेड के नीचे पड़ी हुई थी । और मुंह से खून निकल रहा था कॉस्टेबल ने तुरंत ही पुलिस स्टेशन से संपर्क किया पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और जांच पड़ताल शुरू की गई जांच में बॉडी के पास से हेल्मेट के कांच के कुछ टुकड़े और
कुछ बाल मिले इन्हें सबूत के तौर पर रखा गया । प्रियदर्शिनी का गला हीटर के तार से घोटा गया था जो पास में ही पड़ा मिला उसे भी सबूत के तौर पर रख लिया गया । जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त प्रियदर्शिनी घर पर अकेली थी । जब शाम 7:30 बजे पिता चमनलाल मट्टू घर पहुंचे
चमनलाल मट्टू
तो उनको पता चला की उनके बेटी अब इस दुनिया में नहीं है । प्रियदर्शिनी की माँ राजेश्वरी ने Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) के मर्डर का आरोप संतोष पर लगाया साथ यह भी बताया कि वो प्रियदर्शिनी को कितना परेशान कर रहा था ।
राजेश्वरी
संतोष पर लगाए गए आरोपों के चलते उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया उसके पिता कश्मीर में आईपीएस ऑफिसर थे और उनकी पोस्टिंग जल्द ही दिल्ली होने वाले थी । प्रियदर्शिनी के माता – पिता को यह डर था कि आईपीएस ऑफिसर के बेटे को पुलिस ढील देगी और उन्हें न्याय नहीं मिलेगा । Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) के घर वालों का यह डर सही साबित हुआ और जांच के दौरान कहीं गड़बड़िया की गई सबूतों को छुपाया
गया और गवाह नहीं लिए गए । रिपोर्ट में भी बदलाव कए दिये गए रिपोर्ट में यह कह दिया कि रेप हुआ ही नहीं ,यहां तक की ये कहा गया की संतोष की टेस्टिंग के लिए गए खून को Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) के underwear मे डाला गया है । ताकि उसे फसाया जासके, कोर्ट के सामने झुटे सबूत पेश किए गए बदली हुई रिपोर्ट दिखाई गई जिसके के आधार पर 1999 मे जीपी थरेजा ने संतोष को बरी कर दिया । देश में इस बात को लेकर बहुत आक्रोश दिखा
लोगों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया क्योंकि एक बार फिर एक बेटी दम तोड़ चुकी थी और उसका आरोपी खुलेआम घूम रहा था ।
किसी भी अपराध को तीन पहलुओं से जोड़कर देखा जाता है । मोटिव, मीम और opportunity संतोष के पास Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) के प्यार ठुकराने का मोटिव था बॉडी के पास मिले हेलमेट के टुकड़े इस बात का सबूत है कि उसके पास हत्या करने का मीम था, और तीसरी चीज यह थी कि संतोष को Priyadarshini (प्रियदर्शिनी ) के घर में आते देखने वाले गांव आदि मौजूद थे इसके बाद भी संतोष को खुलेआम छोड़ दिया गया । देश की बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए जस्टिस फॉर प्रिया कैंपेन चलाया
गया सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपील की और हाई कोर्ट ने संतोष को दोषी करार दिया । 2006 में यह साबित हुआ कि प्रियदर्शिनी की
बॉडी से मिला सीमन भी संतोष का ही है । जांच में यह बात भी सामने आई कि पुलिस ने कुप्पूस्वामी का स्टेटमेंट भी कोर्ट तक नहीं पहुंचने दिया था जिसने संतोष को प्रियदर्शिनी के घर में आते हुए देखा था । जबकि कुप्पुस्वामी पहले ही बता चुके थे कि उन्होंने संतोष को आते हुए देखा है । पुलिस ने आईपीएस पिता के दबाव में संतोष को बचाया और कोर्ट में गलत सबूत पेश किए हाई कोर्ट ने तमाम सबूतों को देखते हुए संतोष को फांसी की सजा दी । मैं अपनी इस फासी की सजा से बचने के लिए संतोष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर स्टे लगा दिया
6 अक्टूबर 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने संतोष की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया । और प्रियदर्शिनी के लिए इंसाफ मांग रहे हैं उसकेमाता-पिता और वह तमाम लोग जो संतोष को फांसी पर लटकते देखना चाहते थे कोर्ट के फैसले पर बस यह कह रहे थे कि कोर्ट से यहउम्मीद नहीं थी । एक बार फिर से देश की बेटी का अपराधी फांसी के फंदे से बच गया था ।
तो ये थी आज Priyadarshini (प्रियदर्शिनी) Mattoo Rape and Murder Case की कहानी ।
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