Serial Killing By Anjana Bai , Sima And Renuka : उस वक्त के राष्ट्रपति ने भी कहा की ये किसी माफी के हकदार नहीं इन्हे तो मौत ही मिलनी चाहिए ।
तो नमस्कार दोस्तो आजी की कहानी तीन औरतों की जिन्होंने 42 बच्चों का कत्ल किया कत्ल की बात जितनी डरावनी है । उससे भी भयानक है वो वजह जिसकी वजह से कत्ल हुए । तो आइये जानते है आज की कहानी मे ।
कहानी की शुरुआत ।
इस कहानी की शुरुआत एक औरत से होती है जिसका नाम अंजना बाई था ।
अंजना बाई ।
जिसकी दो शादियां होती है पहले शादी से उसकी एक बेटी होती है जिसका नाम रेणुका शिंदे था और दूसरी शादी से एक और बेटी जिसका नाम सीमा गावित । दोनों पति का एक-एक कर छोड़ जान के बाद अंजना बाई पुरी तरह से रोड पर आ गई थी
रेणुका शिंदे ।
जिसकी वजह से दोनों बहनों का बचपन कोल्हापुर के सड़कों पर बीता जहां उन्होंने समाज की सारी बुराइयों को अपने अंदर भारा जिसमें चोरी ,डकैती आदि जैसी चीज भी शामिल थी । इन सभी गलत कामो में सबसे बड़ा श्रेय उनकी मां अंजना बाई को जाता है ।
सीमा गावित ।
जिसने मेहनत की रोटी को इनकार करके चोरी और दूसरे का जेब काटकर खुद के पेट को भारा और इन सभी कामोमे में अपनी दोनों बेटियों को भी शामिल किया । वक्त बीता गया और अब सीमा और रेणुका अपने मां की तरह एक माहिर चोर बन चुकी थी । जिनके ज़्यादातर शिकार मंदिर में आये भक्त होते थे जिनके जेवर या फिर पर्स चोरी किया करते थे । इन दोनों बहनों में से रेणुका की शादी भी
हो गई थी और उसका एक साल का बेटा भी था । पर शादी हो जान के बावजूद भी रेणुका और उसकी मां बहन ने चोरी बंद नहीं की और इसी तरह से लोगों को लूटने रही । साल 1990 की एक सुबह रेणुका अपने एक साल के बच्चे के साथ मंदिर में चोरी कर रही थी तभी उसे चोरी करते हुए एक औरत ने रंगे हाथ पकड़ लिया और तमाशा खड़ा कर दिया । थोड़ी ही देर में वहां पर भीड़ इकट्ठा हो गई और रेणुका को
पुलिस के हवाले देने की बात होने लगी । इन सभी चीज को देखते हुए रेणुका डरने लगी और जब उसे कुछ नहीं समझ में आया तो उसने अपने एक साल के बच्चे को जोर से जमीन पर पटका और यह चिल्लाने लगी की एक माँ कभी चोरी नहीं कर सकती । इस दृश्य को देखते ही भीड़ का ध्यान चोरी से हटकर उस बच्चे पर आ गया और पूजा पाठ करने वाली उस भीड़ ने उसे मां पर दया खाकर यह मान लिया, की अगर इसने चोरी किया भी होगा तो अपने बच्चे का पेट पालने के लिए और यह समझकर उसे जाने दिया । पर उन लोगों को दूर-दूर तक नहीं पता था की इस गलती की सजा कितने मासूम अपनी
जान से देने वाले थे । घर पहुंचते ही रेणुका उसकी बहन सीमा और मां अंजना को ये अच्छे से समझ में आ गया था की अगर हाथ में बच्चा हो तो कोई भी इंसान उन पर दया खाकर उनकी चोरी को माफ कर देगा और यही से शुरू होती है इन तीनों औरतें की बेरहम दास्तान ।
चोर से कातिल का सफर ।
अंजना और उसकी दोनों बेटियों को जब आम लोगों की कमजोरी समझ में आई तो इन तीनों ने एक बच्चा चोरी करने का फैसला किया जिससे वो पकड़े जान पर भी बच सकें । उन्होंने अपना पहले शिकार 18 महीने के बच्चे को बनाया जिसको उन्होंने पास के ही गरीब बस्ती से उठाया था और अपने योजना के मुताबिक उस बच्चे को हाथ में लेकर चोरी करने लगी कुछ दिन तब तो सब कुछ ठीक रहा । पर एक दिन अंजना बाई को एक इंसान ने चोरी करते हुए रेंगे हाथ पकड़ लिया और हमेशा की तरह भीड़ इकट्ठा हो गई इस चीज को देखते ही अंजना भाई ने अपनी बेटी की तरह उस चुराये हुए बच्चे को जोर से जमीन पर पटका जिससे उसे 18 महीने के बच्चे का सर फुट गया । इस अजीब दृश्य को देखते ही वह भीड़ तुरंत ही वहां से हट गई और रेणुका की तरह उसकी मां को भी जान दिया गया । पर यह घटना यहां पर खत्म नहीं होता है बल्कि यही से हमें इन तीनों औरतें की मानसिकता और हैवानियत देखने को मिलती है । जिस बच्चे को अंजना बाई ने जमीन पर पटका था वह अपनी चोट की वजह से जोर-जोर से रोने लगा । अगर यहां पर कोई आम चोर होता तो वो शायद इस नवजात को हॉस्पिटल ले जाता पर अंजना बाई ने उसे 18 महीने के मासूम से बच्चे को पास केही सुनसान जगह पर ले गई और फिर उसे बच्चे का पैर पड़कर उसके सर को जोर से खंबे पर तब तक मारते गई जब तक उसे बच्चे की जान नहीं निकाल गई ।
सिर्फ इसलिए क्योंकि उसका रोना उन्हें शक के घेर में दाल रहा था और तभी से मानो इन तीनों औरतें को खून की प्यास लग गई । ये बच्चे को चुराती उनका इस्तेमाल करती और फिर उन्हें मार डालती इनकी बेरहमी को आप इस चीज से समझ सकते हो की एक बार इन्होंने ढाई साल की बच्ची को पानी में डूबा कर मार डाला था । इसी तरह से वह एक-एक करके बच्चे को किडनैप करती गई और उनका इस्तेमाल करने के बाद या तो वो उनका गला दबाकर मार डालते या फिर किसी खंबे पर उनका सर लडा देती और उनके बॉडी को प्लास्टिक में बांध के कूड़ेदान में डाल देती ।
एक बार इन तीनों ने भावना नाम की बच्ची को किडनैप किया 10-12 महीने की बच्ची थी ये बच्ची लगातार रो रही थी तीनों ने इस बच्चे की हत्या कर दी लाश को काले रंग की पॉलिथीन में डाल दिया और निकल पड़ी ठिकाने लगाने रास्ते में एक सिनेमा हॉल दिखा इने और मन हुआ कि फिल्म देख ली जाए अंदर गई लाश इनके हाथ में ही थी बैग में फिल्म देखने के बाद पॉलिथीन को सिनेमा घर के बाथरूम में छोड़कर ये तीनों वहां से चुपचाप निकल आई बाद में सफाई वाला आया तब
इस लाश के बारे में पता चला । इनके सारे शिकार 5 साल से कम उम्र के बच्चे होते थे जो की गरीब फैमिली से होते थे । क्योंकि गरीब परिवार पुलिस के पास जाने से डरता था और जाता भी था तो पुलिस उनका केस दर्ज नहीं करती थी और इसी तरह से इन तीनों औरतें ने 1990 से 1996 के बीच लगभग 42 बच्चे को किडनैप करके उनका बेरहमी से मर्डर कर दिया था । पर कहा जाता है ना की गुनाहों का गड़ा कभी ना कभी जरूर भरत है। और यही हुआ इन तीनों साइकोपैथ के साथ जब पुलिस की नजरों में यह पहले बार आई ।
पुलिस की कैसे नजर पड़ी ?
सालों से ही अंजना बाई मन ही मन अपने दूसरे पति मोहन से बदला लेना चाहती थी क्योंकि उसने उसे दो बेटियों के साथ अकेला छोड़ दिया था और इसका बदला उसने मोहन की दूसरी पत्नी प्रतिभा की 9 साल की बेटी को किडनैप करके किया और इसको अंजाम उसकी दोनों सौतेली बहने यानी सीमा गावित और रेणुका शिंदे ने किया था ।
अपनी बेटी की गायब होते ही मोहन और उसकी पत्नी पुलिस स्टेशन जाकर केस फाइल करते हैं और पुलिस के सवाल करने पर उन्होंने अपना पहला शक अंजना बाई की तरफ बताया पुलिस अपनी इन्वेस्टिगेशन स्टार्ट करती है और सबसे पहले वो हिरासत में रेणुका के पति यानी किरण शिंदे को करते हैं । और उससे पूछताछ करते हैं पूछताछ में जब पुलिस सक्ति से पेश आती है तो वो पुलिस को सब कुछ बता देता है । की कैसे उसकी पत्नी और सीमा ने मिलकर
अपनी सौतेली बहन को किडनैप करके उसका बेरहमी से कत्ल कर दिया है । उसने यह भी बताया की एक बार रेणुका रात में बैठकर यह गिन रही थी की उसने अपनी मां और बहन के साथ मिलकर कितने बच्चों का कत्ल किया है और वह गिनती 42 बच्चों पर जाकर खत्म हुई थी । यह सुनते ही पुलिस सीमा गावित रेणुका शिंदे और अंजना बाई को कस्टडी में लेते हैं
और उन्हें जुर्म काबुल करनेको बोलते हैं । शुरुआत में तो वो इसे पुरी तरह से इनकार कर देते हैं पर जब पुलिस पर सक्ति से पूछताछ करती है तो वो मोहन की बेटी के मर्डर को कुबूल कर लेते हैं और यह बताती है की उन्होंने ऐसा अपनी मां के कहने पर किया था । इस एक केस ने इन तीनों औरतें के कई और केस को खोल देते हैं जो उन्होंने बाकी मासूम बच्चों के साथ किया था । पुलिस हाल में गायब हुए सारे बच्चों की रिपोर्ट्स को खोलते हैं और उसे इस केस से जोड़ देते है । जब पुलिस इनके घर की तलाशी लेती है तो वहां से छोटे बच्चों के कपड़े और कई खिलौने भी बरामद होते हैं । जो सारे मासूम बच्चों के थे बाद में तीनों मान लेते है की कैसी ये बच्चों को ढाल बनाकर चोरी किया करती थी और जब वह उनके किसी कम के नहीं रहते तो उनकी जान ले लेती थी ।
गिरफ्तारी और कोर्ट का सिलसिला ।
इन तीनों ने 42 बच्चों को मारा जैसे ही यह खबर प्रेस के हाथ लगी महाराष्ट्र के तमाम अखबारों की सुर्खियां बन गई । भारत में इससे पहले इतने बड़े स्तर पर कभी हत्याएं नहीं हुई थी इस तरह की सीरियल किलिंग का यह मामला भारत ही नहीं दुनिया के सबसे खतरनाक और दर्दनाक मामलों में से एक था । प्रदेश सरकार ने मामले पर सीआईडी की टीम बिठाई जांच के लिए क्योंकि हत्या और किडनैपिंग के मामले साल 1990 से 1996 के बीच के थे इसलिए अधिक मामलों में तो सबूत ही नहीं मिल पाए । लेकिन 13 किडनैपिंग्स और 6 हत्याओं के मामलों में इन तीनों का होना ये साबित हुआ । गिरफ्तार होने के 2 साल बाद यानी 1998 में अंजना की एक बीमारी से मौत हो गई बची रेणुका और सीमा साल 2001 में एक सेशन कोर्ट ने दोनों बहनों को मौत की सजा सुनाई फांसी की ।
इस फैसले के खिलाफ अपील पहुंची हाई कोर्ट में साल 2004 को हाई कोर्ट ने भी मौत की सजा को बरकरार रखा, फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा सुप्रीम कोर्ट ने भी कह दिया कि ऐसी औरतों के लिए मौत की सजा से कम कुछ भी नहीं है । जब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी बंद हो गया तो एक आखिरी दरवाजा बचा हुआ था वह दरवाजा था राष्ट्रपति से क्षमा याचना का । साल 2014 में राष्ट्रपति थे प्रणव मुखर्जी, मुखर्जी ने भी दोनों
प्रणव मुखर्जी
बहनों पर कोई रहम नहीं किया और अदालत के फैसले से ही सहमति जताई इसके बाद दोनों ने एक और बार हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया अदालत ने इस मामले में आखिरी फैसला 2022 में सुनाया कोर्ट ने माना कि सरकार की तरफ से मर्सी पिटीशन पर जरूरत से ज्यादा समय लगाया गया और इसके चलते दोनों की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया गया । सीमा और रेणुका फांसी से तो बच गई लेकिन उनकी तमाम उम्र जेल की सलाखों के पीछे कटेगी ।
तो ये थी आज की कहानी ।
Story of Daku Nirbhay Singh Gujjar निर्भय सिंग गुज्जर : चंबल का आखरी और सबसे खूंकार डाकू की कहानी ।
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