Son returned after death : बाप ने अपने बेटे की चिता को आग लगाई फिर कैसे बेटा पोलिस के सामने आया ?

Son returned after death : कैसे एक बेटे ने अपने बाप को साजिश मे शामिल किया ?

नमस्कार दोस्तो , आज की कहानी एक एसे अपराध की जिसमे बेटा एक संघिन अपराध करता है । उस इस अपराध से बचाने के लिए बाप और बेटे एक झुटी कहानी रखते है पर पुलिस और एक महिला कैसे उस कहानी पे से पर्दा हटाते है । और वो महिला कौन ये सब आज की सच्ची कहानी Son returned after death मे ।

अपराधी और उसका संघिन अपराध । 

आज की कहानी 2018 की है। कहानी बिहार के भागलपुर की है नीरज मोदी नाम का एक नौजवान एक सरकारी स्कूल में टीचर था। ठीक-ठाक घराने का था और उसकी जिंदगी भी ठीक ठाक चल रही थी, बच्चों को पढ़ा रहा था । लेकिन इसी दौरान उसी स्कूल की एक बच्ची के साथ यौन शोषण का केस हो जाता है। इसके बाद बच्ची गवाही देती है और इलज़ाम टीचर नीरज पर लगता है।

अब जिस स्कूल में नीरज मोदी पढ़ा रहा था उसी स्कूल की एक बच्ची के साथ रेप का इलज़ाम एक टीचर पर। अब लड़की का बयान, घरवालों का बयान, लड़की नाबालिक थी, इसलिए पॉक्सो एक्ट (pocso act) के तहत नीरज को गिरफ्तार किया जाता है।

जिसमें कम से कम सालभर तो आप भूल जाइए कि आपको ज़मानत भी मिलेगी, तब केस मजबूत था नीरज को पुलिस ने पकड़ा बिहार पुलिस ने और इसके बाद जेल भेज दिया। इधर पुलिस ने अपनी तफ्तीश पूरी की चार्जशीट दाखिल कर दी, और मुकदमे का ट्रायल शुरू हो गया, 2018 का ये मामला था। इसी दौरान 2022 अब ट्रायल भी चल रहा है, चार्जशीट दाखिल हो चुकी है।

तो कुछ मानव भूमि पर नीरज को बेल मिल जाती है, नीरज जेल से बाहर आ जाता है। अब बाहर आने के बाद वो अपने घर जाता है, टीचर था, पढ़ा लिखा था। अब घर आने के बाद इधर ट्रायल चल रहा है और अब कभी भी मुकदमे का फैसला आ सकता है और यह तय है कि उसको सजा होनी है

अचानक नीरज की मौत । 

लेकिन इत्तफाक से 27 फरवरी 2022 ये वो तारीख थी, जब नीरज की मौत हो जाती है, अब नीरज की मौत हो जाती है। नीरज मुल्जिम है, अभी तक मुकदमा चल रहा है, रेप का केस उसके ऊपर। अब इसके बाद नीरज के पिता जो है उसका अंतिम संस्कार कर देते है। अंतिम संस्कार हो गया, बेटे की मौत के सदमे से थोडे उबर गए ।

और इसके बाद फिर वो एक रोज़ पहुंचते हैं, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र के जो दफ्तर होता है सरकारी दफ्तर वहाँ डेथ ऐंड बर्थ रजिस्ट्रेशन ऑफिस। वहाँ जाने के बाद वो बता देते हैं कि उनके बेटे की मौत हो गई और उसका अंतिम संस्कार हो गया, अब, उसकी डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाणपत्र) चाहिए। कही ये फर्जी तो नाही ईसी लीये वो पिता से सबुत पूछ ते है।

तो पिता उनके उस चिता की तस्वीर | चिता पर नीरज लेटा हुआ है , जब आखिरी अंतिम संस्कार हो रहा है नीरज की वो तस्वीर साथ में जिस शमशान से लकड़ी खरीदी उस लकड़ी का बिल , ये सारी चीज़े उस ऑफिस में जमा करती । रेस्टरैशन ऑफिस ने देखा , संतुष्ट हो गए, उन्होंने डेथ सर्टिफिकेट जारी कर दिया।

अब इसके बाद इस डेथ सर्टिफिकेट को लेकर क्योंकि बेल पर आया था और बेल की एक शर्त थी की आपको स्थानिक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करना है। तो नीरज के जो पीता है वो स्थानिक पुलिस स्टेशन में जाते हैं और बताते हैं। नीरज जो अभी जमानत पर आया है, जिसके ऊपर रेप का इल्ज़ाम है उसकी मौत हो गई और हमने उसका अंतिम संस्कार कर दिया।

ये उसकी डेथ सर्टिफिकेट, ये उसकी तस्वीर ये चिता की तस्वीर है जब हम लोग उसका अंतिम संस्कार कर रहे थे

Son returned after death

(नीरज के मौत की झुटी तस्वीर )

ये उन लकड़ियों की तस्वीर है, जो शमशान में खरीदी गई ये उसका बिल है। अब पुलिस ने भी सारी चीज़े देखी, इसके बाद पुलिस ने रिपोर्ट बनाई , रिपोर्ट बनाकर अदालत में भेजा अदालत ने कहा कि इस आरोपी के खिलाफ़ ये मुकदमा चल रहा था, 2018 का रेप केस का एक नाबालिग बच्ची के साथ का ।

बेल पे बाहर आने के दौरान उसकी मौत हो गई है। अप जीस शख्स को मुकदमा चल रहा है, जब वहीं नहीं रहा तो फिर आगे मुकदमा क्या होगा? तो जब पुलिस की तरफ से ये फाइनल रिपोर्ट गई कोर्ट के मुंशी ने ये आगे पहुंचाई, इधर रजिस्ट्रार साहब ने वहाँ के। उस रिपोर्ट को देखते हुए इस केस और मुकदमे को हमेशा के लिए बंद कर दिया। क्योंकि अब आरोपी जिंदा था नहीं तो फिर किसको सजा देंगे और किस को कटघरे में खड़ा करेंगे।

तब उस बच्ची का जो रेप का केस था और जिसमें आरोपी था वो मुकदमा खत्म वक्त से पहले। फाइल बंद, और बस एक मुकदमे का अंत हो गया, अब वक्त बीतता है , यह बात , फरवरी की थी, जब डेथ (मौत) हुई थी। धीरे धीरे वक्त बीतता जाता है, इसी दौरान में जो वो बच्ची थी। उस बच्ची की माँ को भी यह जानकारी मिली की जो नीरज है उसकी मौत हो चुकी है |

माँ को शक और वो पुलिस के पास गई । 

पर माँ को कुछ शक होता है तो वो जब पता करना शुरू करती है। तो पता चला कि नीरज के बहुत सारे रिश्तेदारों को तो पता ही नहीं है कि नीरज की मौत हो चुकी है, जो उस गांव में नहीं बल्के के दूरदराज के दूसरे गांव में आस पास में फैले हुए थे। पड़ोसियों तक कोई नहीं मालूम था कि नीरज की अचानक मौत कैसे हुई, क्या बिमारी थी ?

उसने पता किया कि अंतिम संस्कार में भी बहुत लोग नहीं आए थे। अब गाव , गाव एक परिवार जैसा होता है, आमतौर पर किसी की ऐसी मौत होती है तो तमाम लोग इकट्ठे होते हैं, तब ये चीजें उसको बड़ी अजीब लगी, उसे लगा कि कुछ गडबड है, अब उसकी तो इतनी हैसियत थी कि इतनी जासूसी कर सके, इससे आगे क्या करे?

तो उस बच्ची की मां पुलिस के पास गई और पुलिस के पास जाकर कहा की मुझे शक है कि नीरज जिंदा है और उसने ये झूठे सर्टिफिकेट और सारी चीजे बनायीं है। अब पुलिस के पास जब वो पहुँची, तो पुलिस ने तो पहले यू ही टाल दिया। कि नहीं, हमने पता करवा लिया, हमने पूरी जांच कर ली है कि नीरज मर चुका है, लेकिन माँ को लगा कि उसकी बेटी का गुनहगार जिंदा है और उसकी मौत नहीं हुई है। इसलिए वो कोर्ट पहुँच गई और कोर्ट में उसने जाकर कहा कि जीस केस को अपने बंद किया है जिस डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर

वो शख्स जिंदा है और आप पुलिस से कहो की वो उसे तलाशे , अब कोर्ट ने एक ऑर्डर पास किया। वहाँ के पुलिस वाले से कहा की आप इसकी एक रिपोर्ट दीजिए, कि सच्चाई क्या है, अब कोर्ट का ऑर्डर था? पुलिस वालो को माननाही था, पुलिस ने अपनी एक टीम बनाई, टीम को भेजा उस इलाके मैं

इलाके में पूछा आस पड़ोसियों से रिश्तेदारों से तो पहली बार पुलिस को पता चला कि उनमें से भी ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं कि नीरज की मौत 27 फरवरी को हो चुकी है। और ये महिना चल रहा है जून – जुलाई का करीब पांच छह महीने हो चूके हैं। अब पुलिस के भी कान खड़े हुए की ये कैसे हो सकता है? फिर इसके बाद पोलिस उस शक्स के पास पहुंची जिसे मृत्यु प्रमाण पत्र बनाया था, और फिर जो रजिस्टर थे।

तो इन सब को अदालत ने कहा कि अपनी अपनी रिपोर्ट दीजिए, की डेथ सर्टिफिकेट कैसे बनायें? तब वो सारे कागजात मंगाए गए। तब उसमें चिता की तस्वीर थी, जिसपे नीरज लेटा हूवा था।

Son returned after death

(झुटे अंतिम संस्कार की तस्वीरे)

साथ में लकड़ियों के खरीदने की रसीद थी। अब फिर पुलिस की टीम और बाकी सब गए, उस जगह पे जहाँ से रसीद थी वो उस पते पर पहुंचे की ये लकड़ियां खरीदी। लकड़ी वाले ने कहा जी खरीदी उसके पिता ने खरीदी थी, उसके पिता आये थे यहाँ पर और वही ये लकड़ियों को लेकर गए थे। लेकिन चिता और उस अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले गवाह नहीं मिल रहे थे।

अब पुलिस को लगा कि कुछ गडबड है, इसी के बाद पुलिस ने नीरज के पिता को उठा लिया। और पिता को उठाने के बाद पूछा की बताओ की तुम्हारे बेटे की मौत हुई पूरे गांव को तुम्हारे रिश्तेदारों को किसी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं है। तो फिर? कैसे मान लिया जाय? तो आखिरकार पीता, को जब पुलिस ने उठाया थाने लाये, थोड़ी सख्ती की।

काय था साजिश मे ।  

तो उसके पिता ने स्वीकार कर लिया, की उसका बेटा जिंदा है? लेकिन कहा है हमें नहीं मालूम | तो उन्होंने पूछा यह कहानी क्या है ? उसने कहा जब वो जमानत पर आया। तब उसके बाद अदालत का फैसला आना था अगले कुछ महीने में और उसे मालूम था इसके बाद उसे जमानत मिलनी नहीं है और फैसला उसके खिलाफ़ जाएगा।

पॉक्सो एक्ट के तहत भी मामला है, नाबालिग के साथ रेप का मामला है और ऐसी धाराओं में अदालत बहुत सख्त भी है। तो कम से कम उम्र कैद या 10 साल के लिए तो वो गया तो उसे ये था की इतने साल जेल में रहना नहीं है तो क्या करे? तो इसीलिए उसने फिर ये साजिश रची, जब वह जमानत पर आया तो उसने अपने पिता से कहा । की मुझे मरना है लेकिन कागजों पै

और फिर मैं कहीं छुप जाऊंगा और उसके बाद ये केस बंद हो जाएगा उस के बाद मैं कहीं और किसी शहर चला जाऊंग, कहीं नौकरी कर लूँगा। बाप भी अपने बेटे की मोहब्बत में तैयार हो गया, साजिश में शामिल होने के लिए, इसके बाद बाप बेटे ने मिलकर फिर एक साजिश रची। इन्होंने श्मशान से जाकर लकड़ियां खरीदी, उसकी रसीद ली, उसके बाद एक असली शमशान छोड़कर किसी एक खुले मैदान में बकायदा चिता सजाई। फिर उस चिता पे अपने बेटे को लिटाया।

और उस बेटे को लिटाकर उसको वैसे ही एक की एक्टिंग कराई। सब कुछ करने के बाद तस्वीर खींची गई, उसके बाद बेटा चिता से उठा और फिर गायब। चिता की लपटें भी इधर उधर चली गयी। और उसके बाद नीरज का पिता कुछ दिन बाद पहुंचते हैं और डेथ सर्टिफिकेट ले लेता हैं। पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दे देता है, अदालत मे मुकदमा खत्म हो जाता है।

अब जब ये सारी कहानी आयि पुलिस के सामने ये था कि नीरज को ढूंढो की वो कहाँ है? इधर उधर ढूंढा, इधर । बाप को उठा चूके थे तो बेटे को लगा की उसकी वजह से उसका बाप जो हैं वो जेल में हैं। तो फिर आखिरकार 17 सितंबर 2022 लगभग फरवरी से जो फरार था। 17 सितंबर 2022 को नीरज ने खुद आकर स्थानिक पुलिस में सरेंडर (आत्मसमर्पण ) कर दिया।

सरेंडर करने के बाद कोर्ट में उसे पेश किया गया, कोर्ट में पेश होने के बाद एक नया मुकदमा तो चला ये 420 जालसाजी का, लेकिन एक मुकदमा जो खुद अदालत ने अपने फैसले में बंद कर दिया था, उसे दोबारा खोलने का हुक्म सुनाया गया, उसके बाद उस पे दोबारा बहस शुरू हुई, वो मुकदमा जो बंद हो गया था, एक जिंदा मुर्दा के चक्कर में अब शुरू हुवा और उस मुकदमे पर अब दुबारा फैसला आएगा और फैसला शायद नीरज जानता है कि क्या होगा? इसीलिए उसने जिंदा होते हुए भी मुर्दा बनने की एक्टिंग की ।

चिता पर लेटकर खुद को एक मुर्दे के तौर पर दिखाना, तस्वीर खिंचाना और फिर उसको एक दस्तावेज के तौर पर सरकारी दफ्तरों में पहुंचाना, शायद ये पहला मामला होगा ।

तो ये थी आज की Son returned after death की कहानी ।

Priyadarshini Mattoo Rape and Murder Case : रेप और कत्ल की दिल देहलादेने वाली कहानी ।

ये कहानी पढ़नेके लिये यहा क्लिक करे । 

निष्कर्ष

तो आपने देखा की कैसे एक अपराधी एक अपराध जो अंजाम देता है । उस अपराध को छुपाने के लिए वो अपने बाप को शामिल करता है ।
एक कहानी रचता है । पर ये कहानी ये शातीरी धरी की धरी रेह जाती है । पुलिस और उस महिला के सामने तो ये थी आज की कहानी Son returned after death की ।

 

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