The secret of Grigori Rasputin : क्या सच मे रूस मे राज करता था एक अय्याश तांत्रिक ?

The secret of Grigori Rasputin : क्या वो सच मे एक तांत्रिक था या फिर एक ढोंगी ।

तो नमस्कार दोस्तो , एक बाबा को उसकेही कुछ अनुयाइ ने गोली मार दी । यह कहानी इतनी सीधी भी नहीं है वह बाबा कितना अजीब था कि उसे पागल संत कहा जाने लगा । एक वक्त देश में सत्ता उसके इशारों पर नचतिथि कौन था वो । वो इतना ताकतवर कैसे बना वह कौन सी भविष्यवाणी थी जिसकी वजह से पूरा राजवंश खत्म हो गया और किसने मारा उस संत को और ये संत कौन था आइए जानते हैं ।

आज की कहानी Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) की ,

The secret of Grigori Rasputin

Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन )

Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) का जन्म 21st जनवरी 1869 में हुआ था रूस के साइबेरिया प्रांत के छोटे से गांव में । जन्म के साथ ही उसकी जो आदतें थी वह बहुत अजीब थी उसके कई छोटे भाई बहन थे लेकिन वह उनसे बात नहीं करता था । वह अपने माता-पिता से भी बात नहीं करता था । वो अक्सर जंगल में चला जाता आसमान की तरफ देखता बात करता चिड़ियों से बात करता, जानवरों से बात करता और अकेला रहना ही उसे पसंद था उसके घर वाले समझ ही नहीं पा रहे थे । की यह जीवन में आगे करेगा क्या उसे स्कूल भेजा लेकिन वो पढ़ा नहीं उसे काम करने भेजा खेत पर उसने वहां काम नहीं किया फिर उसकी नौकरी लगा दी गई अस्तबल पर तो वहां भी उसका ऐसा ही मामला था की वह बस जानवरों से बात करता रहता । यानी उसके घर वाले उससे इतनी बुरी तरह परेशान हो चुके थे की इसका क्या करें शायद यह मानसिक रूप से परेशान है और जब उसे डॉक्टर को दिखाया गया तो कोई समझ नहीं पाया की बीमारी क्या है। धीरे-धीरे यह बड़ा हो रहा था पढ़ना लिखना आता नहीं था । तो किसी तरह छोटे-मोटे काम करके गुजारा होता था शादी करवा दी गई शादी के बाद बच्चे हुए तो लगा सब ठीक हो जाएगा लेकिन उसके तीन बच्चों की भी मौत हो गई । इस बीच उसको शराब की लत लग गई शराब की लत लगने के बाद उसने शराब पीना शुरू किया जाहिर है कमाता नहीं था तो पैसा भी नहीं थे । पैसे नहीं थे तो उसने शराब के लिए चोरी करना शुरू किया और इसी तरह चोरी करते हुए एक दिन वो पकड़ा गया । पकड़े जाने के बाद उसको अदालत में पेश किया गया अदालत के सामने वकील ने पक्ष रखा की बिल्कुल उसने चोरी की है लेकिन इसकी मानसिक हालत ऐसी नहीं है की हमें कुछ समझा सके बता सके ।

अदालत ने देखा उसकी हालत को देखा तो जज ने एक फैसला सुनाया और इस फैसले ने उसकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया । फैसला यह था क्योंकि वह कुछ सोच समझ नहीं सकता था और कोई जिम्मेदारी वाला काम नहीं कर सकता था सुधार की उम्मीद और गुंजाइश भी कम थी इसलिए उसे अदालत के जज ने यह कहा की इसे पैदल चलकर 523 किलोमीटर दूर एक चर्च में जाना होगा और साइबेरिया

ऐसा प्रांत है रूस का जो अपने बर्फीली तूफानों के लिए बहुत ठंडे सर्द मौसम के लिए मशहूर है और यहां मिलो तक बस बर्फ ही बर्फ होती है । अब ऐसे में जब अदालत ने ये सजा सुनाई तो हर किसी ने राहत की सांस ली क्योंकि उसे कोई कैद नहीं दी गई थी उसे कोई कोड मरने की सजा नहीं दी गई थी उसे बस कहा गया था की आपको पैदल चलकर एक चर्च तक जाना है । चर्च की दूरी 523 किमी है घरवालों ने उसको विदा कर दिया अब यह जो 523 किलोमीटर का यह सफर था पैदल जाहिर है इसको पूरा होने में कई महीनो या शायद कुछ साल लगने थे क्योंकि जिस तरह के हालात साइबेरिया में होते हैं 523 किमी पैदल चलने का मतलब है साल भर से ऊपर का वक्त लग जाना क्योंकि हर जगह ऐसी है भी नहीं की वहां आप पैदल चल सके । इस यात्रा के दौरान वो कई लोगों से मिला उसमें कुछ चर्च के पादरी थे कुछ गांव के बुद्धिमान लोग थे कुछ राहगीर थे कुछ से उसने कुछ सिखा कुछ से बातें की धीरे-धीरे वो जब आगे बढ़ाने लगा तो उसके जीवन में कुछ परिवर्तन आने लगे उसे बहुत कुछ ऐसा पता चलने लगा जो उसे अपने छोटे से गांव में पता नहीं चलता था और यह बात है 1897 की अब वो लगबग 28 साल का था । 523 किलोमीटर का यह सफर तय करने के बाद जब तक वह चर्च में पहुंचा ऐसा बताते हैं की करीब 2 से 2.5 साल का समय लग गया था उसको 523 किमी चलने में ।

The secret of Grigori Rasputin

जिस वक्त तक वह चर्च पहुंचा तब तक उसकी कुछ आदतें बदल गई थी वो धर्म को समझने लगा था बाइबल को पढ़ने लगा था और कई ऐसे बदलाव उसमें आ चुके थे जो शायद पहले कभी किसी ने सोचे नहीं थे । जब ये चर्च में पहुंचा और वहां के जो मुख्य फादर थे उनके संगत मे रहने लगा तो उन्होंने कहा की अब तुम यहां कुछ समय रहोगे मैं तुम्हें कुछ बातें सिखाऊंगा लेकिन उसके बाद तुम्हारी आगे जो मंजिल है वह तो इस देश की राजधानी में ही है । अब न जाने उन फादर ने ऐसा क्यों कहा उन्हें ऐसा क्या लगा इस बीच यह जो Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) था उसमें बदलाव ये आने लगा की ये बहुत से लोगों को ठीक करने लगा था । मसलन वो जो कहता वो चीज हो जाती कोई बीमार उसके पास आता वो सर पे हाथ रखता वो ठीक हो जाता एक चमत्कारी और एक रहस्यमय व्यक्ति के रूप में उसकी ख्याति पहुंचने लगी थी । अब एक वक्त ऐसा आ गया की उसने कहा मुझे इस चर्च से विदा लेनी है और वो सीधा राज महल की तरफ रवना हो गया । कहते हैं की Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) जब तक राजमहल पहुंचे उससे पहले ही उसकी ख्याति राजमहल तक पहुंच चुकी थी रूस में उस वक्त शासन था राजा निकोलस द्वितीया का जिनकी शादी हुई थी एक जर्मन राजकुमारी एलेक्जेंड्रा से

निकोलस और एलेक्जेंड्रा ।

एलेक्जेंड्रा और निकोलस के एक पुत्र था नाम था अलेक्ज़े और उसे पुत्र को थी एक ऐसी बीमारी जिसका उसे वक्त कोई इलाज नहीं था हीमोफीलिया जिसमें अगर एक बार शरीर पर कट लग जाए तो खून बहता रहता और फिर कभी रुकता नहीं । अलेक्ज़े जर्मन राजकुमारी और रूस के राजा का इकलौता पुत्र था रूस के इतने बड़े साम्राज्य का अकेला वारिस उसके कोई भाई बहन नहीं था और उसे यह लाइलाज बीमारी थी एलेक्जेंड्रा काफी परेशान रहती थी और Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) की ख्याति वहां तक पहुंच चुकी थी । किसी ने सलाह दी की एक बार Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) को बुलाओ क्योंकि वो जो कहते हैं वो हो जाता है किसी को छुते हैं तो ठीक हो जाता है । रासपुतिन को बुलावा भेजा गया जिस वक्त रासपुतिन वहां आए अलेज्ये से की तबीयत काफी खराब थी उसे बुखार था रासपुतिन ने उनके माथे पर हाथ रखा और वो छोटा सा बच्चा अगले 24 घंटे में ठीक हो गया

उसका ठीक होना था की एलेक्जेंड्रा ने रानी एलेक्जेंड्रा ने खुद उनको दोबारा बुलावा भेजा और कहा की आप अब यहीं रहेंगे हमारे साथ क्योंकि अलेक्ज़े को अगर कभी भी जरूरत होगी तो आपका होना जरूरी है । हम तो इस बात से हैरान हैं की जब से आप मिलकर गए हैं यह ठीक होता चला जा रहा है और कहते हैं की धीरे-धीरे उसकी वो हीमोफीलिया वाली बीमारी भी कहीं चली गई ।

Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) अब अलग-अलग बातों पर अपनी राय रखने लगा वो जो कुछ भी कहता वह सब चीज सच होती चली जाती । रासपुतिन अब राज महल में ही रहने लगा और राजमहल में होने वाले हर फैसले पर उसकी राय मशवरा लिया जाने लगा और ये बातें इस हद तक बढ़ गई की कौन से सरकारी फैसले ,कौन से शाही फैसले कब लिए जाने हैं, फौज कैसी रखनी है, कहां पर रखनी है कहां युद्ध करना है इन सब बातों पर आखिरी जो मोहर होती थी वो Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) की होती थी औरयह बात अब धीरे-धीरे फैलने लगी थी प्रजा के बीच भी की हमारे राजा ने राजा निकोलस ने एक ऐसा बाबा रख लिया है की उससे पूछे बिना कुछ बात नहीं होती । उसे पूछे बिना कोई फैसला लिया नहीं जाता अब पूरा मामला इस तरह से आगे बढ़ा की रासपुतिन की एक और बात लोगों के सामने आने लगी जो की सच भी थी । की रासपुतिन महिलाओं का बहोत हो शोकीन है । राज परिवार की महिलाओं के साथ भी संबंध रखता है राज परिवार के लिए कम करने वाली महिलाओं के साथ भी संबंध रखता है और ऐसा कहा जाता था की Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) अगर किसी को एक नजर देख लेता था ।

तो उसको अपने वश में कर लेता था यह बातें भी प्रजा के बीच पहुंचने लगी और ये वो दौर था 19वीं सदी का । जब पुरी दुनिया में जो देश थे वह एक दूसरे पर अपना आधिपत्य जमाने की कोशिश कर रहे द यह वर्ल्ड वॉर वन से पहले की बात है । जिस तरह की खबरें प्रजा के बीच पहुंच रही थी और बार-बार यह हो रहा था की एक अय्याश बाबा है उसे लव बाबा भी कहा गया मैड मोंक (पागल संत) भी कहा गया तमाम बातें कही गई की वो राज परिवार में रहता है । सब उसकी बातें मानते हैं वो किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह के संबंध बना लेता है जब चाहे जैसा जिसके साथ करता है ना उसे पर कोई रोक-टोक है और ना ही उसका कोई इलाज है । और राज परिवार पुरी तरह से उसका मुरीद बन

चुका है दीवाना बन चुका है । इसके बाद 1905 का साल आता है और 1905 के शुरुआत में ही रूस में बहुत बड़ी घटना होती है जिसको कहा गया ब्लडी सन्डे की घटना । ब्लडी सन्डे में हुआ यह था की राजा निकोलस के महल के बाहर बहुत सारे रूसी लोग प्रदर्शन करने आ गए थे की इस बाबा को बाहर निकालो और कहते हैं की उन पर गोलियां चलवाई गई और गोलियां चलवाई गई इसमें काफी लोगों की मौत भी हुई

ब्लडी सन्डे की घटना ।

लेकिन राज परिवार ने इस Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) इसको बाहर नहीं निकाला । कहते हैं की उसे वक्त एक युद्ध हुआ था उसे युद्ध में जापान से बहुत बड़ी हर हुई थी रूस की और ऐसा पहली बार हुआ था की किसी मसाले पर रासपुतिन ने अपनी राय दी हो और उसकी राय ठीक ना बैठी हो और वह ये युद्ध ही था और इसी वजह से जनता काफी गुस्से में द की सारे काम रासपुतिन से पूछ कर होते हैं । युद्ध भी Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) से पूछ कर होता है अगर वो हकीम है तो उससे इलाज करवाओ लेकिन यह किया की उससे पूछ कर युद्ध भी कर रहे हो और उसे वक्त का समीकरण ये था की जापान के पास बहुत कम सैनिक थे रूस के पास बहुत ज्यादा सैनिक थे तब भी रूस जापान से ये युद्ध हर गया था । जनता में बहुत गुस्सा था जनता के साथ-साथ सैनिकों में भी गुस्सा था लेकिन ये जो ब्लडी सन्डे की घटना हुई इसने अब कुछ ऐसा काम किया की जिससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया लोगों को पता चल गया की राज परिवार आम लोगों को तो मार देगा लेकिन कभी इस बाबा को महल से बाहर नहीं करेगा । इधर कुछ ऐसा होने लगा था की निकोलस के कुछ रिश्तेदार थे जो उसे मार कर राजा बनना चाहते थे । जाहिर है निकोलस का एक ही वारिस था अलेक्ज़े तो अगर निकोलस को हटा दिया जाता है तो बहुत सारे लोग उसे पर काबिज हो सकते द राज परिवारों में जिस तरह की दुश्मनी चलती हैं । इन्हीं में से यूसीफो नाम का एक व्यक्ति था जिसकी बहुत समय से नजर थी की निकोलस को हटाया जाए और इस वजह से यूसीफो ने क्या किया हुआ था । क्योंकि ये भी रिश्तेदार था शाही राजकुमार था । उसने बहुत सारे लोगों को मंत्रिमंडल में बैठाया हुआ था जिसके अपने लोग थे लेकिन उसने देखा की धीरे-धीरे उन सारे लोगों को Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) ने निकाल दिया अब निकोलस के मंत्रिमंडल में भी जब रासपुतिन की चलने लगी तो फिर शाही परिवार के लोगों ने कहा की ये तो राजा से भी वो फैसले कर लेता है । तो धीरे-धीरे युसुफ़ों के दिमाग में ये आ गया की हमें इस Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) को रास्ते से हटाना होगा क्योंकि अगर जब तक ये नहीं हटेगा हम निकोलस को भी नहीं हटा पाएंगे और ये तो हर काम में दखल देता है । कहते हैं यह सारी बातें होते-होते 1916 का वक्त आ गया दिसंबर का महीना 30 तारीख यानी 30 दिसंबर 1916 इस दिन युसुफ़ों ने एक चाल चली

युसुफ़ों

वो जानता था की रासपुतिन महिलाओं के बुलाने पर जरूर आता है । उसने अपनी पत्नी का नाम देकर Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) को अपने महल में बुलाया की वह मिलना चाहती है । और रासपुतिन को महिलाओं का शौक था वह किसी भी महिला के बुलावे पर तुरंत चला आता था लेकिन जैसे ही रासपुतिन वहां पहुंचा यूसीफो ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक चाल चली और उसको केक का टुकड़ा खाने के लिए दिया । उसे केक में साइनाइड रखा हुआ था लेकिन हैरानी की बात यह है की केक का टुकड़ा खाने के बाद भी कई मिनट बित गए रासपुतिन वही बैठा रहा यह देखा कर यूसीफो हैरान रह गया की मैंने तो साइनाइड दिया है जिसके बाद सिर्फ कुछ सेकंड ही बचत है कोई व्यक्ति । इस बात से चिढ़ कर गुस्से में उसने Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) गोली चला दी गोली उसके पेट में लगी रासपुतिन गिरा लेकिन उठकर फिर खड़ा हो गया और इस बार राष्ट्रपति ने उसके ऊपर हमला कर दिया । यूसीफो खुद को बचा रहा था और खुद को बचाने के चक्कर में उसने दो गोलियां और मारी रासपुतिन को लेकिन हैरानी की बात है की Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) को कुछ भी नहीं हुआ कहते हल्की सी बेहोशी से आ गई। यूसीफो को ये लगाने लगा की ये बिल्कुल भी बचाना नहीं चाहिए । साइनाइड में से खिला चुका हूं तीन गोलियां मार चुका हूं यह अभी तक नहीं मारा है । तो वहां बहुत सर्दी का मौसम होता है दिसंबर में यूसोफ़ों ने आदेश दिया आपने सैनिकों को की इसको ले जाओ और एक ठंडी नदी के पानी में इसको डुबो दो इसके पूरे कपड़े उतार लो उन्होंने वैसा ही किया औरकहते हैं की उसे ठंडे नदी के पानी में डूब कर इसकी मौत हो गई । और हा मरते वक्त उसने राज परिवार को एक शाप दिया की मेरे मरनेके बाद पूरे राज परिवार

का अंत हो जाएगा ।

Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन )

अगली सुबह ऐलान कर दिया गया की Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) की मौत हो गई । सब लोग जानते थे की क्यों हुआ है क्या हुआ है क्योंकि 1916 में जो हुआ था उसकी सुगबुगाट पहले से आने लगी थी । बहुत सारे लोग उसे पर आरोप लगाते रहे द की व्यक्ति ठीक नहीं है इसे राजपरिवार से अलग करना सही रहेगा इसको महल से बाहर निकाल दो जब यह हत्या हो जाती है तो उसके बाद जहां पर सभी राज परिवार के सदस्यों को दफनाया जाता था वहीं पर दफन दिया जाता है ।

दफनाने से पहले एक पोस्टमार्टम होता है उस पोस्टमार्टम में बहुत हैरान करने वाली घटना सामने आती है । जिसमें कहा यह जाता है की ये जो Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) नाम का व्यक्ति है इसकी मौत

साइनाइड खाने से नहीं हुई और ना ही गोली लगने से हुई है बल्कि फेफड़े में पानी जाने से हुई है यानी न साइनाइड से मरा ना बंदूक की गोली से वो मरा तो सिर्फ फेफड़े में पानी जाने से । कहते हैं उसके कुछ समय बाद ही निकोलस के पूरे परिवार को क्योंकि अब वहां पर कम्युनिज्म का उदय होने लगा था तो लेनिन ने राज परिवार को खत्म कर दिया और पुरी तरह से सत्ता परिवर्तन हो गया ।

लेनिन

ऐसा कहा जाता है की अगर Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) को उस रात यूसीफो नहीं मारता तो फिर वर्ल्ड वॉर भी नहीं होता और रूस का राज परिवार भी सुरक्षित रहता क्योंकि रासपुतिन हर वह बात जानता था की जिससे सत्ता को बचाया जा सकता है । शाही परिवार को बचाया जा सकता है लेकिन Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन ) के मरने के कुछ समय बाद ही पूरा शाही परिवार ही खत्म हो गया ।

तो ये कहानी थी एक ऐसे चमत्कारी बाबा की जिसने बहुत लंबे समय तक रूस के लोगों के दिमाग पर राज किया उनके बीच चर्चा का विषय बना रहा और बहुत से राज ऐसे हैं जो कोई जाने नहीं पाया कैसे उसने राजकुमार का हीमोफीलिया ठीक कर दिया । कैसे वो जो कहता था वो सच हो जाता , कैसे उसने राज परिवार को एक शाप दिया और वो भी सच हो गया । तो ये थी Grigori Rasputin (ग्रिगोरी रासपुतिन )

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